पंचतंत्र की कहानी को सुनाने में बहुत ही अच्छा लगता है क्योंकि पंचतंत्र की कहानियों से प्रेणना मिलती है बचपन में जब हमारी दादी नानी किसी सांप की कहानी (Sanp Ki Kahani) को सुनाती थी तो बहुत आनंद मिलता था ऐसी ही हम सबके बचपन से जुडी काफी सारी बाते होती है किन्तु बचपन की गई मौज मस्ती बहुत ही आनंदमय होती है और तो और रात को सोने के समय अपनी दादी नानी से पंचतंत्र की कहानियां सुनना कितना अच्छा लगता था लेकिन असली मज़ा कहानी सुनने का ठण्ड के मौसम में आता था जब ठंडी हवा से भरी सुनहरी रात में रजाई के अन्दर में जब सारी कहानियों को ख़त्म होने के बाद भुत की कहानी का नंबर आता था.
वह भी कितने अच्छे दिन थे जब आज हम उस दिन के बारे में सोचते है तो अपने उसी पुराने दिन में जाने का मन करता है और एक बार फिर से वह सारी मौज मस्ती और अपनी दादी और नानी के साथ कहानियों को सुनने का मन करता है किन्तु जो समय चला गया उसको हम वापस नहीं ला सकते है लेकिन वह हमारे बचपन में जो कहानी हमारी दादी और नानी सुनाती थी वह कहानी हम आज भी सुन सके है मेरा कहने का मतलब पढ़ सकते है आपको इस आर्टिकल में हम जादुई सांप की कहानी से रूबरू कराने वाले है तो आईये बिना किसी देरी के अपनी कहानी को शुरू करते है.
सांप की कहानी – पंचतंत्र की कहानी
एक समय की बात है एक रामगढ़ नाम का गाँव था वहा के लोग संपो की पूजा किया करते थे और बहुत ही मेहनती और अच्छे थे सब अपने खेत में काम करके अच्छी फसल की पैदावार करते थे इस तरह से उन लोगो का जीवन सुख शांति से बित रहा था सब कुछ बिलकुल सही चल रहा था ऐसी ही काफी समय बित गए एक बार फिर से फसल बोने का समय आ गया गाँव के लोग जोर सोर से अपने खेतो में काम करना शुरू कर दिए, लेकिन उन्होंने देखा की असमान में बादल तो है ही नहीं, और उस साल पुरे गाँव में सुखा पड गया, लोग बहुत ही ज्यादा परेशान थे.
इस समस्या को कैसे दूर किया जाये इसके लिए गाँव के सब लोग सरपंच के पास जाते है और कुछ उपाय की उम्मीद करते थे सरपंच बोलता है की सुखा पड़ना या न पड़ना यह भगवान के हाथ में है और हमारी इस समस्या का समाधान अब वही कर सकते है और वह लोग गांव से बाहर की ओर स्थित पुराने मंदिर की तरफ चल देते है और सब लोग एक साथ मिलकर प्राथना करते है की तभी एक चमत्कारी सांप प्रकट होता है जिसको देख कर सभी लोग डर जाते है तभी सांप बोलता है।

आप लोग डरो नहीं मैं आप लोगो को कुछ नही करूंगा, बदले मैं आपकी लोगो को सहायता करूंगा, क्योंकि एक समय ऐसा था जब मैं बहुत छोटा था तो मेरे पापा जो को नेवले के साथ लड़ाई करने से उनकी हालत बहुत ज्यादा खराब थी तो आप लोगो ने ही उनको बचाया था तो अब मेरा फर्ज बनता है की मैं आप लोगो को इस मुसीबत को घड़ी से बाहर निकालू,
मैं तो बारिश नही कर सकता क्योंकि यह प्रकृति के खिलाफ होगा, किंतु मैं आप लोगो की मदद जरूर करूंगा, गांव के बाहरी ओर जो सरोअर सुखा पड़ा है उसमे मेरे सिर पर जड़ी मणि को यदि आप लोग उस सूखे शरोअर के तल की सतह को मणि से स्पर्ष करते है तो वह पहले के जैसी ही पूरा पानी से भर जायेगा, इस प्रकार से आप अपने खेतो में पानी के जरिये फसल को उगा सकते है जिससे आप लोगो की तकलीफ का निवारण हो जायेगा, और फिर आप मुझे मेरी मणि को वापस दे देना और जब आप लोगो को मेरी मणि की जरुरत होगी तो आप मेरे से लेकर चले जाना, वहा पर उपस्थित सब लोगो ने सांप के सामने सहमती में अपना सर हिलाया और उस सांप से मणि लेकर चले गए.
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मणि गाँव के सरपंच के हाथ में थी और वह लोग सीधा उस सूखे सरोवर पर जाते है और सरपंच और कुछ गाँव के लोग सरोवर की सतह में उतारते है और मणि को उसके ताल से स्पर्ष कराकर बहार आते है उनके बहार आते ही वह सरोवर पूरी तरह से पानी से भर जाता है यह देखकर गाँव के लोग बहुत ही खुश होते है लेकिन इसके साथ ही उन लोगो के मन में मणि के प्रति लालच की भावना जाग जाती है और वह एक दुसरे से मणि के लिए लड़ने लगते है तभी सरपंच बोलता है की सब लोग पहले शांत हो जायो, यह मणि एक इच्छा धरी नाग की मणि है जिसके कारण यह हम सब को माला माल कर सकती है इस लिए गाँव का हर एक आदमी हर एक-एक दिन इस मणि को अपने पास रखेगा,
और अपनी इच्छा को पूरी करेगा, लोग बहुत ही खुश थे किन्तु लालच के कारण वह लोग सांप को भूल ही गए थे इस प्रकार से काफी दिन होने के बाद भी सांप को अपनी मणि नहीं मिली जिसके कारण वह गाँव वालो के पास जाता है और अपनी मणि को मांगता है लेकिन अब गाँव वालो के मन में मणि के प्रति लालच की भावना थी जिसके कारण मणि को सांप को न देना पड़े वह लोग सांप की ओर उसको मरने के लिए लाठी डंडे लेकर भागते है तभी सांप एक बिकराल रूप ले लेता है गाँव वाले सांप का इतना बड़ा और भयानक रूप देखकर बहुत ही ज्यादा डर जाते है तभी सांप बोलता है की तुम इंसान अपना रंग दिखा ही देते हो, मैंने तुम लोगो के ऊपर तरस खाकर अपनी जान की बिना परवाह किये अपनी मणि को तुम लोगो को दे दी जिससे तुम लोगो की मदद हो सके.
लेकिन तुम लोगो को मणि मिलते ही लालच आ गया, और यही लालच तुम लोगो के बिनाश का कारण है जायो मेरा श्राप है की इस गाँव में अब कभी भी नहीं बारिश होगी, इतना कह कर सांप अदृष हो जाता है.
सीख:-
इंसान धन की लालच में इतना अधिक अँधा हो जाता है की उसको सामने आने वाले भयानक परिणाम के बारे में भी वह चिंता नहीं करता है जिसके कारण वह अंत में सब कुछ खो देता है इस लिए मानव को अधिक लालच नहीं करना चाहिए।
जादुई सांप की कहानी – Sap Ki Kahani
बहुत समय पहले की बात है एक गाँव में एक ब्राह्मण भुच्छु रहता था वह बहुत ही गरीब था किसी तरह से आस पास के गाँवों से वह भिच्छा मांग कर अपना गुजरा किया करता था ऐसी ही उसकी ब्राह्मण का जीवन चल रहा था किन्तु वह अपने ऐसे जीवन से बहुत ही ज्यादा दुखी था उसने एक दिन मन बनाया की मुझको अपनी दरिद्रता को दूर करने के लिए राजा के पास जाना चाहिए वह मेरी जरुर मदद करेंगे, इस प्रकार से मेरी दरिद्रता भी दूर हो जाएगी और मैं एक अच्छा जीवन व्यतीत कर पाउँगा.
मन में यह आस लेकर वह अपने राज्य के राजा के पास जाता है किन्तु उसको राजा के राज्य महल तक पहुचने के लिए एक बहुत ही बड़ा जंगल को पार करना था जिसमे बहुत ही खतरनाक जंगली जानवर रहते थे उस ब्राह्मण को मजबूरन उसी रस्ते का चुनाव करना पड़ा क्योंकि उसके पास राजा के पास जाने के लिए और कोई अन्य मार्ग नहीं था वह किसी तरह से जंगल में प्रवेश करता है और जाने लगता है लगभग बह आधे जंगल को पार कर लेता है की उसको एक सांप मिलता है जो बोलता है की ब्राह्मण देवता आप कहाँ जा रहे हो, ब्राह्मण अपने पास किसी मानव को न देख पाने के कारण बहुत ही ज्यादा डर जाता है और सोचने लगता है की यह आवाज़ कहाँ से आई, आखिर मुझको किसने पुकारा.

तभी सांप उसके सामने आ जाता है सांप को देख कर ब्राह्मण बहुत ही ज्यादा डर जाता है तभी ब्राह्मण बोलता है की क्या तुम बोल सकते हो, सांप बोला जी ब्राह्मण मैं बोल सकता हूँ क्योंकि मैं एक इच्छा धारी सांप हूँ, लेकिन तुमको मुझसे डरने की कोई आवश्कता नहीं है मैं तुमको कुछ नहीं करूँगा, क्योंकि तुम ही हो जो मेरा काम कर सकते हो, तभी ब्राह्मण बोला; काम कैसा काम फिर सांप ने बोला ; तुम राजा के पास जा रहे हो न, ब्राह्मण बोलता है हाँ, सांप बोलता है; मैं तुमको ऐसी भविष्यवाणी बताऊंगा, जो तुम राजा से बताना और बदले में जो इनाम राजा तुमको देंगे उसमे से आधा-आधा हम दोनों बाँट लेंगे, सांप बोलता है की तुम राजा से जाकर बोलना की महाराज इस साल हमारे राज्य में भयंकर आकाल पड़ने वाला है, ब्राह्मण सांप की बात को मानता है और वहा से चला जाता है.
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और वहा पर जाने के बाद सांप के द्वारा बताई गई भविष्यवाणी को वह राजा को बताता है की महाराज इस इस साल हमारे राज्य में एक भयानक आकाल पड़ने वाला है यदि आप इसकी व्यवस्था पहले से करते है हमारे राज्य की प्रजा को किसी भी तरह की परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी, राजा ब्राह्मण का सम्मान करता है और उसको कुछ पैसे और खाद्य पदार्थ देकर बिदा करता है जब ब्राह्मण जा रहा होता है तो वह मन में सोचता है की इतना सारा मुझको राजा की तरफ से धन और खाने की वस्तुए मिली है मैं उस सांप को क्यों दूँ, इस लिए वह अपने घर को जाने के लिए दूसरे रास्ते का चयन करता है इधर सांप उसका इन्तेजार करता ही रहता है किन्तु ब्राह्मण तो दुसरे मार्ग से अपने घर सारे पैसे और खाद्य पदार्थ को लेकर चला जाता है.
और राज्य में सच मुच बहुत बड़ा आकाल पड़ा लेकिन राजा ने पहले से ही सब प्रबंध कर लिया था जिसके कारण राज्य की प्रजा को किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई ऐसे ही काफी दिन गुजर जाते है अब ब्राह्मण अलसी हो चूका था क्योंकि उसके पास राजा के द्वारा दी गई भेट थी लेकिन वह की धीरे-धीरे करके ख़त्म हो चुकी थी एक बार फिर वह ब्राह्मण राजा के पास जाने की सोची, और वह राजा के पास जाने के लिए तैयार हो गया, वह जंगल के रस्ते से होकर जा रहा था तभी उसको सांप के बारे में याद आया तो उसने आनन फानन में और काफी तेजी के साथ अपने कदम को बढाने लगा, की कही उसको सांप न देख ले.
वह जा ही रहा था की तभी उसके सामने सांप आता है और बोलता है की हे ब्राह्मण देवता आप इस बार मुझसे मिल कर नहीं जायोगे, आप कहा चले गए थे मैं आपका इन्तेजार कर रहा था लेकिन आप आप आये ही नहीं, ब्राह्मण अपने किये पर सर्मिन्दा था और ब्राह्मण चुप चाप सांप की बात को अपनी गर्दन को नीचे किये सारी बाते सुन रहा था ठीक है कोई बात नहीं मैं लेकिन मैं जरुर इस बार आपसे आधा धन लूँगा यदि आपको मेरी शर्त मंजूर है तो मैं आपको आपली भविष्यवाणी बताता हूँ, ब्राह्मण से सहमती जताई, तब सांप से कहाँ की इस बार तुम राजा से कहना की पड़ोस वाले राजा के अगले साल आपके साथ युद्ध होने वाला है यह भविष्यवाणी सुनकर ब्राह्मण वहा से चला जाता है.
राजा के महल के पास पहुचता है तब दरबारी राजा को जाकर सूचना देते है की अगली बार जिस ब्राह्मण ने भविष्यवाणी की वही ब्राह्मण देवता फिर पधारे है राजा इस बार काफी स्वागत और सतकार करता है क्योंकि ब्राह्मण के द्वारा बताई गई भविष्यवाणी सही हुयी थी राजा ब्राह्मण से पूछते है की ब्राहमण देवता इस बार क्या होने वाला है आप कैसी भविष्यवाणी करने वाले है ब्राह्मण बोलता है की हे राजन इस बार आपके राज्य पर पड़ोसी देश के राजा के द्वारा आक्रमण होने वाला है इससे बचने के लिए आप पहले से ही पूरी तैयारी कर ले.
राजा ब्राह्मण को स्वादिष्ट भोजन करता है और पहले से भी अधिक धन दान में देता है ब्राह्मण के मन में ओर भी अधिक लालच की भावना जाग जाती है वह सोचता है की यह धन मैं सांप को भला क्यों दूं, लेकिन वह मेरे रास्ते में पड़ेगा, तो क्यों न सांप को मार दिया जाए, यह सोच कर ब्राह्मण अपने घर के लिए रवाना हो जाता है और जब जंगल का रास्ता आता है तो वह वहा से एक बड़ा सा डंडा को उठता है और जैसे ही वह सांप के समीप पहुंचता है उसको मारने के लिए दौड़ता है सांप खतरे को अपनी ओर आते देख तुरंत अपनी बिल में जाने लगता है.
किंतु तब तक ब्राह्मण उसके समीप आ जाता है और उसकी पीठ पर वार करता है जिससे सांप की पुंछ कट जाती है किंतु सांप की जान बच जाती है भविष्यवाणी के अनुसार अगले साल पड़ोसी देश के राजा के साथ भयंकर युद्ध होता है पहले से युद्ध की योजना होने के कारण राजा युद्ध जीत जाता है इस तरह कई साल बीत गए, और इधर ब्राह्मण का धन धीरे धीरे खत्म हो चुका था और एक बार फिर से ब्राह्मण राजा के पास जाने की सोचता है और वह अगली सुबह ही प्रस्थान कर देता है.
कुछ ही समय बाद जंगल का रास्ता आता है सांप उसको न देख पाए इसलिए वह सांप से अपनी नजरे बचाते हुए जाने लगता है तभी सांप उसको देख लेता है और बोलता है हे ब्राह्मण क्या इस बार तुम मुझसे मिले बिना ही चले जाओगे, ब्राह्मण अपने किए पर सरमिंदा था वह कुछ भी नही बोलता है सांप उसको बताता की इस बार राजन से बोलना की इस बार पूरे संसार में अधर्म की स्थापना होगी, जिसको कलयुग नाम दिया जाएगा,
ब्राह्मण जाता है और राजा से यह भविष्यवाणी करता है राजा यह बात सुनते ही ब्राह्मण को बहुत सजा देता है जिससे वह अधमरा हो जाता है किसी तरह से वह अपनी जान को बचाकर महल से भागता है और जब वह जंगल से जा रहा होता है तो सांप उससे मिलता है तब ब्राह्मण सांप से बोलता है की इस बार तुमने कैसी भविष्यवाणी की मेरा हाल देखो, सांप ने कहा मैंने कोई झूट नही बोला है यह सत्य है की आने वाले समय में अधर्म का ही राज होगा लोग एक दूसरे को मारेंगे चारो तरफ अधर्म का ही राज होगा.
क्योंकि यह सब मैने तुम्हारे आचरण को ही देख कर यह निर्णय लिया है क्योंकि तुम एक ब्राह्मण होकर मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया जबकि मैं तुम्हारी हमेशा सहायता करता रहा, यहां तक कि तुमने मुझपे वार भी किया जिससे मेरी पूछ कट गई, तो मैं समझ गया था की आने वाले समय में सब लोग तुम्हारी तरह ही अधर्मी और अन्याय का रास्ता अपनाएंगे, जिसको कलयुग नाम दिया जाएगा, इतना कहकर सांप गायब हो जाता है।
सीख:-
जब कोई हमारी मदद करता है तो हमारा भी फर्ज बनता है की हम भी उसकी मदद करे, क्योंकि समय के पाइए को घुमाते समय नही लगता है।
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निष्कर्ष…
आपको यह लेख किसान और सांप की कहानी, मैं उम्मीद करता हूँ की आप लोगो को यह लेख जरुर पसंद आया होगा, मैंने अपनी तरफ से सांप वाली कहानी. के पूर्ण चरित्र को दर्शाया गया है फिर भी आपको लगता है की इस Post में कोई ग़लत रह गयी है.या फिर आर्टिकल पूरा नही है.
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