Wings of Fire in Hindi-DR APJ Abdul Kalam जी की जीवनी

by Hindraj Kumar
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Wings of Fire in Hindi एक ऐसी पुस्तक है जो Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam (DR, APJ Abdul Kamal) के आटोबायोग्राफी ऊपर लिखी गई है इनको प्रेणना का बहुत बड़ा श्रोत माना जाता है इनका कहना था यदि आपको सूरज के जैसे चमकना है तो आपको सूरज के जैसे जलना भी होगा, जी हाँ ऐसे प्रेणना दायक विचार रखने वाले हमारे DR APJ Abdul Kalam जो सन 2002 से 2007 तक भारत के 11th President थे.

इनका स्वभाव ऐसा था जिससे न केवल बड़े ही इनको पसंद करते थे बल्कि बच्चे में इनके काफी दीवाने थे जिसका कारण था इनकी शालीनता , सादगी, सोम्यतः और विनम्रता, न सिर्फ इनकी बातो में महसूस होती थी बल्कि इनके चत्रित में भी झलकती थी उनके विचारो ने न सिर्फ बच्चो के दिल में जगहे बनायीं, बल्कि उनके विचारो ने युवाओं को एक बड़ी प्रेणना दी. (Wings of fire in Hindi)

दोस्तों हम अक्सर बड़े सपने देखने से डरते है हमको लगता है जी हम इन सपनो को पूरा नहीं कर सकते है क्युकी यह हमारी पहुच से काफी दूर है पर क्या आपको मालूम है जिंदगी में कुछ बड़ा करना है या बड़ा बनना है तो उसकी शुरुआत सपने देखने से ही होती है दोस्तों ऐसा ही एक सपना कलाम साहब अपने बचपन से ही देखा करते थे और वो था आसमान में ऊचा उड़ने का सपना, दरअसल बचपन से ही कलाम साहब आसमान के रहस्यों से और नीले आसमान से उड़ने वाले उन परिंदों को देखकर बहुत ही खुश होते थे.

और वह सोचते थे की वह कितने खुशनसीब है जो यह खुले आसमान में इन ठंडी-ठंडी हवाओ के बिच उड़ रहे है यह सब देखकर उनको भी आसमान में उड़ने की तमन्ना होती थी वही से उनके सपनो को एक दिशा मिली और उनको विस्वास था ही वह एक दिन इन परिंदों के जैसे खुले आसमान में जरुर उड़ेंगे, और इसी एक सपने ने कलाम साहब की पूरी जिंदगी को बदल कर रख दिया, उनकी जिंदगी का बदलाव इतना आसान नहीं था इसके पीछे उनकी लगन और सच्ची मेहनत थी.

और यह बदलाव था जब वह एक दिन aerospace scientist बन गए, कलाम साहब जो आज इस दुनिया में भलेही न हो लेकिन वह हर एक हिन्दुस्तानी के दिनों में आज भी बसते है इनकी कहानी इतने में ही समाप्त नहीं होती है और भी काफी कुछ इनके बारे में जानने के लिए है जो आज के इस पोस्ट यानी Wings of Fire in Hindi में जानेगे की कैसे एक छोटे बच्चे का जीवन इतना ज्यादा बदल गया, किसने किया था उनका मार्ग दर्शन, इन सब के बारे में हम आगे जानेंगे. (Wings of fire in Hindi)

Dr APJ Abdul Kalam का जीवन परिचय

wings of fire
Dr. APJ अब्दूल कलाम

अब्दुल कलाम जी का जन्म 15 October 1931 को एक तमिल मुस्लिम परिवार रामेश्वरम् तमिलनाडु में हुआ था उनके पिता एक नाविक थे जो यात्रियों को नाव में रामेश्वरम के एक किनारे से दुसरे धनुषकोडी ले जाते थे और उन्हें छोड़ देते थे कलाम जी के पिता इतने Educated नहीं थे और उनकी माता जी आशिआम्मा एक गृहणी थे कलाम साहब अपने 5 भाई बहन में सबसे छोटे थे दोस्तों कलाम साहब एक बहुत ही सीधे साधे परिवार में पैदा हुए थे.

जहाँ पर ह्यूमन वैल्यूज को बहुत इज्जत दी जाती थी उनके घर के आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी पर फिर भी उनके माता पिता उनकी परवरिश बहुत प्यार और अच्छी ह्यूमन वैल्यूज से की, ऐसा नहीं की वह वह हमेशा गरीब ही थे उनके पूर्वज बहुत Rich थे उनका Family business काफी बढ़ा था लेकिन जिस समय कलाम साहब का जन्म हुआ, उनका फॅमिली कारोबार काफी Losses से होकर गुजर रहा था जिसके कारण उनके परिवार की आर्थिक स्थिति काफी ज्यादा गिर गई. Wings of fire in Hindi

यह आपको मालूम नहीं होगा की एक समय ऐसा भी आया जब कलाम साहब अपने फॅमिली को सपोर्ट करने के लिए बचपन में ही न्यूज़ पेपर बेचने का काम शुरू कर दिया था उन्होंने अपनी Schooling short Higher secondary Ram Nath Puram से की थी बचपन से ही वह बहुत Hard Working और एक Intelligent child थे चीजो को समझने और उनको जानने की उनके अंदर बहुत जिज्ञासा थी क्या आपको याद है दोस्तों जब हम बचपन में अपने स्कूल जाया करते थे वो भी क्या दिन थे वह दिन आज भी याद आते है क्योकि बचपन से जुड़ा होता है. [doctor apj abdul kalam in hindi]

स्कूल और स्कूल से जुड़े होते है हमारी कुछ कडवी और कुछ मीठी यादे, और हमारी इन यादो में हमारे टीचर का भी बहुत बड़ा योगदान रहता है क्योकि इन टीचर की ही वजह से एक बच्चा सही और गलत के बारे में जनता और सिखाता है और इन प्रेणना से वह अपने जीवन में आगे बढ़ने का आत्म विश्वास मिलता है और ऐसे ही कलाम साहब के जीवन में उनके एक favorite teacher थे जो उन्हें बहुत प्रभावित करते थे जिनका नाम था आयुधारी कलाम साहब बताते थे की उनके टीचर बहुत ही Humble open minded और उनके बहुत अच्छे दोस्त जैसे टीचर थे जिनकी वजह से वह बहुत comfortable महसूस करते थे . (आप पढ़ रहे है हिंदी सुविधा पर APJ Abdul Kalam ki jivani aur Wings of Fire in Hindi)

और इन टीचर ने कलाम साहब के बचपन के उन दिनों में उनको बहुत Inspired किया, अपनी Schooling पूरी करने के बाद कलाम साहब ने सन जोजेफ कॉलेज तिरुचिरापल्ली में एडमिशन लिया, जहाँ से फिजिक्स में उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन पूरी की, ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद हर एक क्षात्र को काफी सोच समझ कर आगे कदम उठाना पड़ता है एक सही Filed का चुनाव करना पड़ता है जिससे हम अपने करियर को एक सही दिशा की ओर ले जा सके, लेकिन ऐसा बहुत कम लोगो के साथ होता है कई बार हमारे द्वारा लिए गए फैसले गलत सावित होते है.

क्योकि जब हम कोई फिल्ड का चुनाव करते है और उसमे आगे बढ़ाना भी शुरू कर देते है तब हमको लगता है की यह फिल्ड हमारे लिए नहीं बनी है जो की कलाम साहब के साथ ही ऐसा ही कुछ हुआ था उन्होंने अपनी डिग्री के बाद सन जोजेफ कॉलेज में BSC degree एडमिशन तो ले लिया था लेकिन उस समय साइंस फिल्ड में उन्हें इतने सारे करियर आप्शन के बारे में इतनी नॉलेज नहीं थी फिजिक्स में उन्हें इंटरेस्ट तो था लेकिन वो उनका पैशन नहीं था उनका पैशन क्या था तो आईये जानते है उनकी इस कहानी से.

ये बात उन दिनों की है जब कलाम साहब पांचवी कक्षा में थे बचपन से ही उन्हें आकाश में उड़ाते हुए परिंदे को देखना बहुत पसंद था एक बार स्कूल ,में उनके टीचर सुप्रमंयम सर की क्लास चल रही थी जिसमे वह बच्चो को समझा रहे थे की पक्षी आसाम में कैसे उड़ते है उन्होंने ब्लैकबोर्ड पर पक्षी का एक चित्र बनाया, जिसमे उन्होंने पक्षी के पंख पूंछ की तरफ इशारा करते हुए सारे क्लास को बहुत ही अच्छे से समझाया.

जब क्लास ख़त्म हुयी तो टीचर ने सब बच्चो से पूछा क्या ये टॉपिक सबको समझ में आया है इसपर कलाम साहब और सब बच्चो का जवाब न में था यह सुनकर सुप्रणम सर ने सब बच्चो को अस्वासन देते हुए कहाँ कोई बात नहीं और उसी शाम सर ने सभी क्लास को रामेश्वरम के तट पर लेजाने का फैसला किया, जिससे बच्चो को आसानी से समझाया जा सके, उस शाम जब सारी क्लास वहां पहुची तब वहां पर दर्जनों पक्षी आसमान में पंख फैलाकर उठ रहे थे सर ने पक्षियों की ओर इशारा किया और उन्होंने समझाया की कैसे पक्षी अपने पंख को फड़फाड़ते है और कैसे पक्षी अपने पंख को ऊपर नीचे करके उड़ते है.

सर ने बच्चो को यह भी बताया की पक्षी अपनी दिशा कैसे बदलते है और कैसे अपने पंखो की सहायता से धीरे धीरे उठान भरते है सर की इस प्रैक्टिकल क्लास से बच्चो को बहुत ही अच्छे से समझ आ गया, उस दिन कलाम साहब को पक्षियों की उड़ान के बारे में सारे दाव पेच समझ में आ गए, कलाम साहब बताते है मात्र इस एक घटना ने उनको बहुत प्रभावित क्या, जिससे वह वही से अपना फ्यूचर बनाया, वह उड़ान को लेकर बहुत गंभीर हो गए, और जब उन्होंने 1954 में फिजिक्स में अपनी ग्रेजुएशन पूरी की तो उन्हें लगा की वह अपने सपने को कैसे पूरा करेंगे, उनका सपना तो आसमान में उचा उड़ना था तब उन्होंने decide किया की वह एक fighter pilot बनाना और अपने इसी सपने को अंजाम देने के लिए उन्होंने aerospace Engineering करने का फैसला किया. Wings of fire in Hindi

Wings of Fire in Hindi सपनों की उड़ान doctor apj abdul kalam in hindi

Wings of fire जिसको हिंदी में अग्नि की उड़ान कहेंगे, दोस्तों कलाम साहब अपने सपनो को पूरा करने के लिए उन उड़ान को हासिल करने के लिए लिए यानि की Aerospace engineering को पूरा करने के लिए 1955 में कलाम साहब पहुच जाते है मद्रास सिटी में जो अब चेंनेई के नाम से जानी जाती है कलाम साहब ने चेंनेई में MIT में यानी Massachusetts Institute of Technology में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एडमिशन के लिए अप्लाई किया था उन दिनों इंडिया में यह कॉलेज बेस्ट कॉलेज माना जाता था और आज भी इंडिया के टॉप पोस्ट कॉलेज में इसका नाम आता है.

तो आप समझ सकते है की इस कॉलेज में एडमिशन लेने का जो Criteria होगा कितना difficult होगा, लेकिन आपको मालूम ही होगा की कलाम साहब बचपन से ही बहुत होर्ड वोकिंग के लिए जाने जाते है और इसी होर्ड वोर्किंग के चलते कलाम साहब का एडमिशन के टॉप 10 लिस्ट में इनका नाम आ गया, लेकिन इस कॉलेज की फीस काफी महँगी थी उनके लिए एक बहुत ही मुश्किल था उनके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी की वह इनके फीस के पैसे दे सके. (आप पढ़ रहे है हिंदी सुविधा पर APJ Abdul Kalam ki jivani aur Wings of Fire in Hindi)

लेकिन उनकी बहन ने उनको आगे बढ़कर सपोर्ट किया और अपनी jewelry को गिरवी रख दी, क्योकि ऐसे समय में कलाम साहब को सपोर्ट करने के लिए कोई नहीं था वह अपने पिता से भी पैसे नहीं मांग सकते थे क्योकि वह जानते थे की घर की स्थिति पहले से ही बहुत ख़राब चल रही है उस समय उनकी बहन कोई उनके लिए कोई भगवान से कम नहीं था कलाम साहब ने भी इस बात का काफी द्यान दिया, और उन्होंने प्रण लय की वह इतनी मेहनत से पढेंगे जिससे वह अपनी scholarship के पैसो से अपने पहन के Jewelry को छुड़ा सके.

इसके बाद उनका एडमिशन कॉलेज में हो गया था और यहाँ से उनके जीवन का सफ़र शुरू हो गया था उनके कॉलेज में दो हवाई जहाज़ के मॉडल रखे गए थे जो स्टूडेंट के लिए demonstration के आधार पर रखे गए थे कलाम साहब उन रखे गए हवाई जहाज़ को देखकर इतने आकर्षित हो जाते थे की उन्हें वह घंटो निहारते रहते थे और अक्सर कल्पना करते थे की वह एक हवाई जहाज़ को खुले आसमान में घुमा रहे है.

जब कलाम साहब अपने फाइनल इयर में थे तो उन्हें और उनके चार दोस्तों को एक प्रोजेक्ट के लिए कहाँ गया था जिसमे एक team थी सभी स्टूडेंट को उस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कुछ न कुछ जिम्मेदारी दी गई थी कलाम साहब ने इस प्रोजेक्ट में एरकक्रॉफ्ट का जिम्मा अपने सर पर लिया थ ऐसी दौरान कॉलेज के डायरेक्टर एक दिन उनके प्रोग्रेस देखनी चाही लेकिन उनकी प्रोग्रेस इनती अच्छी नहीं थी और ये देख कर कॉलेज के डायरेक्टर कलाम साहब से बहुत नाराज़ हो गए थे यह देखकर कलाम साहब से अपने कॉलेज के डायरेक्टर से कुछ दिनों की और मौहलत मांगी.

जिससे वह अपने प्रोजेक्ट को Complete करे, लेकिन कॉलेज के डायरेक्टर कलाम साहब की बात मानाने को राज़ी ही नहीं थे उन्होंने किसी तरह से कलाम साहब को केवल इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए तीन दिन की मौहलत दी, और साथ में ये भी कहा की यदि तुमने इस प्रोजेक्ट को कम्पलीट नही किया तो तुम्हारी scholarship cancel कर दी जाएगी, जब कॉलेज के डायरेक्टर ने कलाम साहब से ये बात बोली थी तो उस दिन शुक्रवार की दोपहर थी और उनको यह प्रोजेक्ट उनको सोमवार की सुबह देना था. Wings of fire in Hindi [doctor apj abdul kalam in hindi]

पहले तो कलाम साहब स्कालरशिप की कैंसिल की बात से गबरा गए थे और ऊपर से उनको यह प्रोजेक्ट केवल तीन दिन में ही पूरा करना था उनकी स्कालरशिप रद्द न कर दी जाये इसके लिए उन्होंने अपने आपको उस प्रोजेक्ट के लिए पूरी तरह से समर्पित कर दिया था इन तीन दिनों में उनको न तो किसी तरह की सूद बुध थी और न ही वह किधर भी जाते थे उन तीन दिनों में उन्होंने अपना खाना भी ठीक से नहीं खाया और रविवार की सुबह तक वह अपने प्रोजेक्ट को All most Completion पर ले आये थे.

जब उनके कॉलेज के डायरेक्टर को यह बात पाटा चली तो वह उनके मेहनत लगन और अपने काम के प्रति ईमानदारी को देखकर बहुत खुश हुए और उन्होंने कलाम साहब को अपने गले से लगा लिया था कलाम साहब अपना कॉलेज ख़त्म करने के बाद कलाम साहब as a training Hindustan Aeronautics Limited बंगलौर में ज्वाइन किया था.(आप पढ़ रहे है हिंदी सुविधा पर APJ Abdul Kalam ki jivani aur Wings of Fire in Hindi)

एक नई शुरुआत [doctor apj abdul kalam in hindi]

अपनी ट्रेनिंग को ख़त्म करने के बाद कलाम साहब को दो कॉल आये थे एक कॉल इंडियन एयर फाॅर्स से और उन्हें इसका इन्टरव्यू देने जाना था देहरादून में और दूसरा कॉल था directorate of technical development and production (DTD&P) Ministry of Delhi से कलाम साहब इन दोनों कॉल को लेकर बहुत उत्सुक थे और ये दोनों इंटरव्यू देंने के लिए रवाना हो जाते है दिल्ली के लिए जहाँ वह directorate of technical development and production के इंटरव्यू के जाते है यहाँ पर उनका इंटरव्यू बहुत ही अच्छा होता है .

इस इंटरव्यू के बाद वह पहुच जाते है देहरादून में जो इनका दूसरा इंटरव्यू था इंडियन एयरफोर्स में pilot के लिए, कलाम साहब इस इंटरव्यू के लिए काफी उत्सुक थे किन्तु अन्दर से डरे हुए भी थे क्योकि इस इंटरव्यू के लिए कुल 25 लोग आये थे और सिट थी 8 लोगो के लिए सबका इंटरव्यू बारी बरी से होता है फिर कलाम साहब का नंबर आता है वह सारे सवालों का सही सही जवाब देते है किन्तु आखिरी के 9वें सवाल में पीछे रह जाते है यानि की एक रैंक से वह चुक जाते है.

अपने सपनो के इतने नजदीक होते हुए भी वह उसको हासिल नहीं कर सके, जिसके लिए वह काफी दिन से जी जान लगाकर मेहनत कर रहे थे वह अंदर से पूरी तरह से टूट चुके थे वह यह मानाने के लिए तैयार नहीं थे की वह अपने सपने के काफी करीब होते हुए भी वह वहां से वापस आ चुके है इस गम से उभरने के लिए और अपने सिने में इस भारीपन को लिए वह ऋषिकेश पहुच गए और वहां पहुचने के बाद APJ Abdul Kalam Sahab की मुलाकात स्वामी सेवानंदा जी से हुई.

कलाम साहब को स्वामी जी से मिलते ही एक असीम शांति का अनुभव हुआ और स्वामी जी ने कलाम साहब का मार्ग दर्शन किया, इसके बाद कलाम दिल्ली वापस आये इसके बाद उन्होंने Ministry Of Defence में जिस नौकरी के लिए अप्लाई किया था उसका रिजल्ट जानना चाहा, और उनका सिलेक्शन as a senior scientific assistant Defence Research and Development Organisation हो चूका था उनके साथ हो रहे इतने सारे फैलियर के बाद वह विल्कुल टूट चुके थे जैसे की हर एक इंसान के साथ होता है.

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लेकिन हमको भूलना नहीं चाहिए की फैलियर हमारी जिंदगी का एक बहुत ही जरुरी हिस्सा है जो हमको एक नयी दिशा की ओर लेकर जाता है कुछ ऐसा ही APJ Abdul kalam जी के साथ हो रहा था एक नई दिशा एक नया अवसर उनका इन्तेजार कर रहा था तीन साल senior scientific assistant Defence Research and Development Organisation में नौकरी करने के बाद उनकी पोस्टिंग ADA बंगलौर में हो जाती है जहाँ पर उन्हें प्रोजेक्ट के लिए चुना गया था जहाँ पर उन्हें एक टीम के साथ ऊपर काम करना था जिस प्रोजेक्ट का नाम था नंदी.

जिसमे वह सफल हुए, नंदी की सफलता के बाद कलाम साहब को इंडियन कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च से राकेट इंजिनियर की पोजीशन के लिए इंटरव्यू कॉल आता है जिसको अटैंड करने वे मुंबई जात है और वहा उनका सिलेक्शन हो जाता है इंडियन कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च में वे डॉक्टर विक्रम सारा बाई की टीम में आ जाते है जो जाने माने एक स्पेस scientist थे 1963 में विकर्म सारा की टीम से कलाम साहब को फौन्डिंग राकेट लोंचिंग टेक्निक के लिए सेलेक्ट किया गया. (आप पढ़ रहे है हिंदी सुविधा पर APJ Abdul Kalam ki jivani aur Wings of Fire in Hindi)

जिसके लिए कलाम साहब को 6 महीने के लिए नासा US में जाना था जो Aviation Filed में एक सबसे बड़ी organization है जब वह अपने 6 महीने की ट्रेनिंग के बाद वापस इंडिया लौट कर आये थे तो 1959 में उन्होंने इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन यानी ESRO की शुरूआती टीम को ज्वाइन किया था जहाँ पर उन्हें बहुत असुविधाए आई थी लेकिन कलाम साहब असुविधयो पर कम और अपने काम पर ज्यादा द्यान देते थे कलाम साहब को केरला में तिरुवंध्पुरम के पास एक छोटे से गॉव धुम्बा में भेजा गया था.

जहाँ पर इनकी पूरी टीम को एक tutorial launching setup के लिए भेजा गया, इस छोटे से गॉव में कलाम साहब और उनकी पूरी टीम को सारी तैयारिया करनी थी इस प्रोजेक्ट के लिए ज्यादा कुछ ज्यादा इन्वेस्ट भी नहीं किया गया था इस गॉव में एक चर्च था और इसी चर्च को कलाम साहब ने अपना ऑफिस बनाया, समुन्द्र के किनारे उन्होंने अपना राकेट लौंच पैड बनाया और वहा जो गौशाला थी उसको इन सब ने अपनी लाइब्रेरी बनाया.

और चर्च के जो Father थे उनके घर को उन्होंने वर्क शॉप में कांवोर्ड कर दिया, आप विश्वास नहीं करेंगे की वह राकेट के पार्ट को चर्च से लौंच पैड तक ले जाने के लिए उनके पास कोई भी बड़ा साधन नहीं था वह कभी cycle पर तो कभी बैल गाड़ी में राकेट के पार्ट को ले जाते थे और अंत में इनकी मेहनत रंग लायी और यह 1963 में उन्होंने अपना पहला सौन्डिंग राकेट लौंच किया, Year 1969 में कलाम साहब की काबिलियत को देखते हुए उन्हें ESRO में India के First satellite launch vehicle यानी SLV3 का प्रोजेक्ट डायरेक्टर बना दिया गया था SLV3 के साथ साथ उन्हें दुसरे प्रोजेक्ट cooler satellite launch vehicle यानी PSLLV पर भी काम करना था. Wings of fire in Hindi

इन प्रोजेक्ट को रन करने के लिए कलाम साहब को फण्ड की जरुरत थी क्योकि इतने फण्ड कलाम साहब के पास मौजूद नहीं थे और उन्होंने Government से Help मांगी तो Government ने मना कर दिया लेकिन उस समय हमारी प्रधान मंत्री इंद्रा गाँधी जी ने गुप्त रूप से उस स्पेस प्रोजेक्ट के लिए कलाम साहब को fund allot कर दिए ताकि कलाम साहब इन प्रोजेक्ट को अंजाम दे सके, फिर कलाम साहब ने दिन रात एक करके अपना काम शुरू कर दिया.

और कुछ समय के बाद उन्होंने भारत के लिए satellite launch vehicle तैयार कर दिया और बहुत सारे missiles भी तैयार किया जो हिंदुस्तान के लिए बहुत फक्र की बात थी.

एक सफल लीडर और SLV-3 [doctor apj abdul kalam in hindi]

कलाम साहब अपने काम को लेकर बहुत Dedicated थे और उनको काम सौपा गया था SLV-3 के तैयारी के लिए यह दिन रात एक करके अपने काम को पूरा करने में लगे हुए थे और इस बिच Years 1976 में कलम साहब जी के पिता की मृत्यु हो गई और कुछ सालो के बाद इनकी माता जी की भी मृत्यु हो गई, उस समय वह बहुत ही कठिन समय से गुजर रहे थे और अपने प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए दीमाकी तौर से मजबूत होना जरुरी था लेकिन इन दोनों मौतों से कलाम साहब को अंदर तक काफी गहरा जख्म दिया था.

इतना सब कुछ होने के बौजुद भी वह अपने प्रोजेक्ट SLV-3 के बाग दौर बहुत ही अच्छे से संभाला और 10th August 1979 को SLV-3 की उड़ान का दिन तय किया गया और इसको उड़ाया गया, इसने बहुत ही आसानी से अपने पहले स्टेज को बहुत ही आसानी से पार कर लिया था और वह दूसरी स्टेज में दाखिल हो चूका था कलाम साहब और उनकी पूरी टीम मंद मुक्द होकर बैठी हुयी थी. (आप पढ़ रहे है हिंदी सुविधा पर APJ Abdul Kalam ki jivani aur Wings of Fire in Hindi)

लेकिन उनकी इस ख़ुशी में दरार आ गई और राकेट अचानक से out of control हो गया, और कुछ ही सेकेंड के बाद उसकी उड़ान रुक गई, यह देखकर कलाम साहब की पूरी टीम काफी निराश हो गई, सब इस राकेट के फ़ैल होने की वजह का कुछ न कुछ करण बताकर संतुस्ट हो चुके थे लेकिन जब कलाम साहब से इसके फ़ैल होने की वजह को पूछा गया तो इसका जवाब देना तो चाहते थे किन्तु उन्होंने जवाब नहीं दिया,

क्योकि वह पूरी तरह से टूट चुके थे और इतने दिन लगातार मेहनत करने की वजह से कलाम साहब का मस्तिक एक स्थान पर नहीं था वह चुप चाप अपने कमरे में जाकर विस्तार पर लेट गए, किन्तु फिर भी कलाम साहब को इस प्रोजेक्ट के फ़ैल होने की वहज से उनको चैन नहीं आ रहा था वह पूरी तरह से सोच में डूब चुके थे, उस समय RSRO के चेयरमैन थे प्रोफेसर सतीश धवन , एक मीटिंग के समय कलाम साहब से प्रोफेसर धवन को बताया की इस प्रोजेक्ट के मिशन डायरेक्टर होने के नाते इस प्रोजेक्ट के नकामियाबी की पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते है.

इस मिशन के फ़ैल होने के बाद पूरा देश यह जानना चाहता था की यह कैसे फ़ैल हुआ, एक बार जब प्रोफेसर धवन को प्रेस कांफ्रेंस के लिए बुलाया गया तो उन्होंने अपने साथ कलाम साहब को भी लेकर गए, वह पर मीडिया ने कलाम साहब से काफी सवाल पूछे, किन्तु तभी प्रोफेसर धवन ने उनका जवाब दिया हम असफल हुए, लेकिन मुझे अपनी टीम पर पूरा विश्वास है और अगले एक साल में यही टीम दुबारा कामियाब होकर दिखाएगी,

यह सुनते ही प्रेस कांफ्रेस में मौजूद पूरी टीम का होसला बहुत ही बढ़ गई पूरी टीम की असफलता प्रोफेसर धवन ने अपने ऊपर ले ली थी कलाम साहब यह सब देखकर हैरान हो जाते है प्रोफेसर धवन को पुरे होसले से भर दिया और देखते ही देखते 10 महीने कैसे निकल जाते है पता ही नहीं चलता है 17 July 1980 SLB-3 की उठान से 30 घंटे पहले अख़बार में और मीडिया में SLB-3 को लेकर बहुत चर्चा हुयी बहुत से अखबारों में पिछले नकामियाबी के बारे में छापा गया था.

18 July 1980 की सुबह हिन्दुस्तान का पहला satellite launch vehicle जिसका नाम था Rohani Satellite उड़ा और इस बार कोई चुक नहीं हुयी और कुछ ही समय में रोहानी सॅटॅलाइट अन्तरिक्षीय में था और यह मिशन सक्सेसफुल हुआ, कलाम साहब के लिए ये पल उनकी जिंदगी का सबसे अहम् पल था वह बहुत ही खुश थे हर तरफ ख़ुशी की लहर थी एक अरसे के बाद हिन्दुस्तान का ख्वाब पूरा हुआ औए इतिहास का एक नया पन्ना खुला हिंदुस्तान का नाम उन देशो में आ चूका था जिसमे सॅटॅलाइट लौंच करने की काबिलियत थी.

और यह पूरी कोशिस हिंदुस्तान की खुद की थी यानी की स्वदेशी थी उस समय भारत की प्रधान मंत्री इंद्रा गाँधी कलाम साहब की कमियाबी को देखकर बहुत खुश हुयी और उन्होंने प्रोफेसर धवन से कहाँ की वह कलाम साहब से मिलना चाहती है इस पर प्रोफेसर धवन में कलाम साहब को फ़ोन किया और इंद्रा गाँधी जी का संदेश उनको दिया की वह इंद्रा गाँधी जी से मिलाने के लिए दिल्ली जाए उस समय कलाम साहब थोडा घबरा गए थे.

और उन्होंने प्रोफेसर धवन से बोला की उनसे मिलाने के लिए मेरे पास तो एक अच्छा शूट भी नहीं है और न ही अच्छे जुते है ऐसी हालत में वह कैसे इंद्रा गाँधी जी में मिलेंगे इस पर प्रोफेसर धवन से कलाम साहब को बोला कलाम तुमने जो सफलता का निवाज पहना है इसके आलावा तुमको और कुछ नहीं चाहिए. Wings of fire in Hindi

इंद्रा गाँधी जी के साथ एक यादगार मुलाकात

Wings of fire in Hindi अगली सुबह कलाम साहब दिल्ली निकल जाते है इंद्रा गाँधी जी से मिलाने के लिए parliament house जहाँ पर उन्होंने साइंस और टेक्नोलॉजी पर एक मीटिंग रखी थी कलाम साहब प्रोफेसर धवन के साथ इस मीटिंग का हिस्सा बनाने के लिए जाते है इंद्रा गाँधी ने SLB-3 की काफी प्रशंसा की और पूरी टीम की सराहना की Year 1981 में भारत सरकार ने कलाम साहब राष्ट्र के प्रति उनकी सरहानी उपलब्धियों के लिए उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया.

SLB-3 की असीम सफलता की बात पूरी दुनिया में आग की तरह फ़ैल चुकी थी जिससे कलाम साहब को मिसाइल तैयार करने के लिए अन्य देशो से ऑफर आने लगे, किन्तु जब इंद्रा गाँधी जी उनसे मिली तो वह कलाम साहब को भारत के लिए मिसाइल्स बनाने को कहाँ साल 1982 June में कलाम साहब को (DRDL) यानी की Differentially Regulated in Lymphoid Organs and Differentiation का डायरेक्टर बना दिया गया था उस समय हमारे देश के defence minister थे Shree Ramaswamy Venkataraman और उन्होंने कलाम साहब को एक सलाह ही की वह भारत के लिए एक Missile Program बनाये जिसमे उन्होंने कलाम साहब को सभी मिसाइल पर एक साथ काम करने की सलाह दी.

और उन्हें इस प्रोजेक्ट का chief executive बना दिया इस मिसाइल प्रोग्राम का नाम रखा गया IGMDP (Integrated Guided Missile Development Programme) इस प्रोग्राम के दौरान कलाम साहब ने बहुत ही मिसाइल बनायीं जिससे भारत का एक महत्वपूर्ण विकाश हुआ इस प्रोग्राम में बनायीं जाने वाली हर एक मिसाइल भारत की आत्मनिर्भरता का सबूत था कलाम साहब ने इस प्रोजेक्ट के अन्दर पांच महत्पूर्ण मिसाइल बनायीं और इस मिसाइल का नाम था पृथ्वी, अग्नि, आकाश, त्रुशुल और नाव ,

(आप पढ़ रहे है हिंदी सुविधा पर APJ Abdul Kalam ki jivani aur Wings of Fire in Hindi)

एक नई शुरुआत राष्टपति

साल 2002 में वे भारत के 11वे राष्ट्रपति बने थे साल 2002 से साल 2007 तक कलाम साहब राष्ट्रपति भवन में रहे थे कलाम साहब एक बहुत दयालु और नेक व्यक्ति थे जिसके कारण वह हर एक बच्चो के दिल में रहते थे उन्होंने अपने 5 साल के कार्यकाल में लगभग 5 लाख युवाओ से मिलाने का रिकॉर्ड हासिल किया था जब उन्होंने 2007 में राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था तो उन्हें कलाम चाचा की उपाधि भी दी गई थी. Wings of fire in Hindi

साल 2012 में उन्होंने एक कैम्पेन लौंच किया था यह कैम्पेन देश के युवा को प्रेणना देने के लिए था जिससे हर एक युवा अपने राष्ट्र के निर्माण के लिए छोटे और सकारात्मक कदम उठाये 70 साल की उम्र में उन्हें युद्ध आइकॉन औवोर्ड से भी सम्मानित किया गया था 27 July 2015 को कलाम साहब को एक भाषण देने के लिए सिलोम जाना था जब वह वहां पहुचे तो वहा पर उन्हें सीढ़िया चढ़ते वक्त उनको अन्दर से कुछ तखलीफ़ महसूस हुईं। आप पढ़ रहे है हिंदी सुविधा पर APJ Abdul Kalam ki jivani aur Wings of Fire in Hindi)

लेकिन थोडा सा आराम होने के बाद वह भाषण देने के लिए चले गए भाषण शुरू होने के कुछ ही समय के बाद वह गिर गए, इसके बाद उन्हें पास के हॉस्पिटल में ले जाया गया उनकी condition उस समय काफी critical थी और उन्हें ICU में रखा गया, और लगभग रात के 7:45 बजे cardiac arrest (हृदय गति रुकना) आने की वजह से डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया, कलाम साहब की निधन की खबर से पुरे देश को एक बहुत गहरा सदमा पंहुचा था.[doctor apj abdul kalam in hindi]

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